शुक्रवार, 6 मई 2011

कल के दिन तक


बस आज की रात और ,
इन बर्तनों को बिना खनक के सोने दो
कल के दिन तक ,
तुम्हारे हाथों में एक नयी साड़ी होगी
जो पसंद आई थी तुम्हे,
जब तुम सूट लेने गयी थी,
हाँ,वही रंग, फबता भी है तुम पे
जो रंग तुमने बता रखा है,
शायद कुछ सेलरी अडवांस में मिल जाये,
मैने बॉस को पटा रखा है

अंशुमन

1 टिप्पणियाँ:

The Serious Comedy Show. ने कहा…

rozmarraa kee baat magar kitnee keematee.bahut khoob.

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