गुरुवार, 5 मई 2011

मोहब्बत में मिले जो दर्द,


मोहब्बत में मिले जो दर्द,
तो दर्द का ऐतवार क्या करना,
दिलों को हार कर के भी ,
दिलों पे वार क्या करना,
जो सच्ची हो अगर नियत,
तो हर रिश्ता खुदा का है ,
खुदा के नाम पे,
एक रिश्ते का ऐतवार क्या करना

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