शनिवार, 5 मार्च 2011

माँ


तेरे हाथों की थपकियाँ,
तेरा वो लोरियाँ सुनाना,
एक बीते जमाने की बातें,
एक गुजरा जमाना.......
कुछ याद आते लम्हे ,
एक याद आती दास्तान.....
क्या मैने किया ,
क्या तूने किया माँ.....
वो तेरा रात भर जागना,
वो मेरा तुझे जगाना...
लौट ना आएंगे वो पल,
पर मुझे याद रहेंगे सारा जमाना.....

तेरे कदमों के तले,
मेरा वो लड़खड़ाना ,
गिर के फिर से उठना,
तुझे फिर पुकारना,
याद आता है माँ
वो बीता गुजरा जमाना.......
मैने जो ना कहा,
तेरा वो समझ जाना....
याद आती हैं माँ
तेरे हाथों की थपकियाँ
तेरा वो लोरियां सुनाना

बात


बोल भी दो कि  अब वक़्त आया है
बात जो अधूरी थी
जो तुम्हे मुझसे कहनी थी 
जो ये आँखे कह ना सकी 
जो लब ब्यान कर ना सके 
बात वो बोल भी दो
कि अब वक़्त आया है..................

बन के हँसी तुम्हारे लबों पे बिखरी थी
ओढ़ में जिसके कुछ नमी सी थी 
तरन्नुम की उन धुनों को अब छेड़ भी दो
कि अब बोल भी दो, अब वक़्त आया है

बात एक नहीं दो चार होंगी 
कुछ तुम्हारे कुछ हमारे खयालातों के आकार की होंगी
मगर आज सुननी है मुझे वही
जो तुमने सीने में दबा के रखी हैं
बातें जो मुझसे छुपा के रखी हैं
बात वो बोल भी दो
कि अब वक़्त आया है 

चेहरा


मैने देखा चिंता और प्यार ,
झुर्रियों की तह के पीछे,
डबडबाती हुयी आँखों में अजीब सी चमक,
और चेहरे पे एक खोखली सी हँसी,

मैले फटे हाथों की लकीरों को देखती हुयी आँखें,
जैसे अब भी कुछ होने का इन्तजार है,
फिर देखती हुयी पल्लू में पड़ी एक गांठ को,
जैसे जीवन भर की दस्तान उसमे हो,

कुछ यादों की पनाह में,
जैसे एक जिंदगी चल रही है ,
वर्तमान के खांचे में ,
अतीत की खिड़की खुल रही है ,

कुछ सोचते हुए आँखे भर आई उसकी,
जैसे सिलापट पे बिखरी ओस की कुछ बूंदे हो,
डबडबायी आँखों में अब दर्द है,
और चेहरे पे एक जानी पहचानी सी मुस्कान.......................

मोड़ के उस पार


मोड़ के उस पार
जब खड़े थे तुम
तो मन में ख्याल आया
कि मिल लूं तुमसे
जैसे मिले थे हम
जब बात हमारे बीच कुछ भी ना थी 

ना ये फासले थे कदमो के 
ना लफ्जों में इतनी लड़खड़ाहट थी 
ना दिल में कसक थी बात करने की 
ना लबों पे नमी संग मुस्कराहट थी

माना की वक़्त की धार का असर है ये
जो फासले खड़े है आज दरमियान
बातें, जो हमने वक़्त पे छोड़ रखी थी
फासले आज उसी के है

मोड़ के उस पार
जब खड़े थे तुम 
तो मन में ख्याल आया
कि बात कर लूं तुमसे फिर से 
जैसे की थी
जब बात हमारे बीच  कुछ भी ना थी