वो अपनी हद को सरहदों से गिराये जायेंगे ,
आँखों में भी आंसू किसी और के लगाये जायेंगे ,
हो हरारत ऐसी की , खुद को तुझ से बदल लूं मै ,
जो बेहया हो ,वो क्या तेष -ए-शरारत दिखायेंगे
वो खुद को मान के बुलंद हम से, जिये जा रहे है भ्रम में ,
हुज़ूर भ्रम शीसा ,हम पत्थर ,टकरायेंगे तो चटख जायेंगे
जी रहे हो गुरूर में ,हमने कब कहा गलत है तुम्हारा जीना
खुद को तो बचा भी ली जे ,गुरूर के पहरेदार कहाँ से लायेंगे
मेरा मांझी ही मुझे रोकता है सच बोलने से ,
डरता है उनसे खता कर के हम किधर जायेंगे,
सुकून से तो कब्र पे भी सो जाऊ मै ,
जो हंगामा न बरपयाएं तो क्या ख़ाक जिए जायेंगे ,
सोचता हूँ बदल दूँ मै तुझको –ए-अहले सियासत ,
कितने है छेद , कितने पैबंद हम लगायेंगे ,
हाँ ये सच है की , सच ही लिखा है ,सच ही लिखे जायेंगे ,
थोडा तकलुफ्फ़ कर लो ,हुज़ूर बदल जाओ ,वरना इससे कड़वी तासीर में नजर आयेंगे
अंशुमन
*हद & सरहद - be-emani, kamchori ....etc