मेरी भाषा , मेरा दर्पण
मेरे विचार और एक खुला प्रांगण
विचारो की नदियाँ , कवितायेँ बने जब
यादों की यात्रायें बन जाये संस्मरण
हँसी के करतब, गूढ़- अजब सी कहानी
भाषा "हिन्दी" है ये "अंशुमन" की जुबानी
मेरे विचार और एक खुला प्रांगण
विचारो की नदियाँ , कवितायेँ बने जब
यादों की यात्रायें बन जाये संस्मरण
हँसी के करतब, गूढ़- अजब सी कहानी
भाषा "हिन्दी" है ये "अंशुमन" की जुबानी
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