शब्द शब्द जीवित हो जाएँ ,
तुम बन जाओ उपमान अगर,
जीवन कविता-मय हो जाये ,
सुर, लय, ताल से पार प्रिये,
मेरे ह्रदय के हिम-प्रस्थर से,
हो सरिता का चिर स्पंदन,
जीवन खुशियों से खिल जाये,
जो ह्रदय बनालो तुम आलिन्द प्रिये,
प्रेम सरोवर की तुम कुमुदिनी,
मै भवरों का वंशधर हुआ,
नित नित भटकूँ में मधु क्षुधा में ,
नित नित मिल जाऊ मै तुमसे प्रिये,
जीवन की इन तंग गलिन में,
तम रंजित रजनी छले,
हो उपचार मेरे जीने का,
बन जाओ तुम इंदु प्रिये
तुम बन जाओ उपमान अगर,
जीवन कविता-मय हो जाये ,
सुर, लय, ताल से पार प्रिये,
मेरे ह्रदय के हिम-प्रस्थर से,
हो सरिता का चिर स्पंदन,
जीवन खुशियों से खिल जाये,
जो ह्रदय बनालो तुम आलिन्द प्रिये,
प्रेम सरोवर की तुम कुमुदिनी,
मै भवरों का वंशधर हुआ,
नित नित भटकूँ में मधु क्षुधा में ,
नित नित मिल जाऊ मै तुमसे प्रिये,
जीवन की इन तंग गलिन में,
तम रंजित रजनी छले,
हो उपचार मेरे जीने का,
बन जाओ तुम इंदु प्रिये
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