मोड़ के उस पार
जब खड़े थे तुम
तो मन में ख्याल आया
कि मिल लूं तुमसे
जैसे मिले थे हम
जब बात हमारे बीच कुछ भी ना थी
ना ये फासले थे कदमो के
ना लफ्जों में इतनी लड़खड़ाहट थी
ना दिल में कसक थी बात करने की
ना लबों पे नमी संग मुस्कराहट थी
माना की वक़्त की धार का असर है ये
जो फासले खड़े है आज दरमियान
बातें, जो हमने वक़्त पे छोड़ रखी थी
फासले आज उसी के है
मोड़ के उस पार
जब खड़े थे तुम
तो मन में ख्याल आया
कि बात कर लूं तुमसे फिर से
जैसे की थी
जब बात हमारे बीच कुछ भी ना थी
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें