कभी ठुकरा रहा कभी अपना रहा
एक सख्स मुझको अपना बता रहा
बिखर के संभालना है सिरात-ए-जिंदगी
कोई है मुझको अमानतों में गिना रहा
संभल जरा संभल जरा जिंदगी दिलों का है कारवां,
महकदे का एक फरिश्ता है मुझको ये समझा रहा
अजब से लोग मिलते है अजीब सा निजाम यहाँ,
गुनाहों में सना पड़ा खुदा को दिया दिखा रहा
हर एक कसिस में दर्द अजाब सा
“अंश“ जिंदगी मजे में बता रहा
*सिरात- path, road
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