एहद -ए-वफ़ा , प्यार अरे तौबा ....
मै खुद को जोड़ -जोड़ के रोया करता हूँ ,
कव्स -ए -जीस्त के भी अलग है कुयूद ,
बिखर जाता हूँ ,जब भी खुद को संवारा करता हूँ
तंज -ओ -रंज से है पुराना कोई रिश्ता ,
मै हर रोज इश्क को सजदे दिया करता हूँ
अब अपनाओ मुझे या ठुकरा दो , ये तुम पे है ,
दायरों -हरम छोड़ के तेरे महकदे में बसर करता हूँ
*कव्स -arc of circle
*कुयूद -restrictions, limitations
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