सुना था कि,
संवेदनाओ के धरातल से ,
निकलती है कविता अब भी,
बावरा सा हो ह्रदय तो ,
प्रतिघात भी है, प्रतिकार भी है ,
कविता अब भी ,
बेचैनी, शब्दों की सौगात खनक सी ,
एहसास –जज्बात से होकर गुजरती है ,
कविता अब भी
सुना है ,
शब्दों के महारथी अब ज्यादा है ,
कम से कम शब्दों में ,बढ़िया मुनाफा है ,
विचारों के व्यंग तो अब आपके रंग है ,
कविता – कविता होने पर अमादा है ..
श्रृंगार से वीर रस तक आपका समर्पण ,
भूख के विषय पर दर्शन बढ़िया आपका है ,
नंगेपन का उद्घोष था कि वो समाज-शास्त्र,
किसी का चिंतन तो किसी का स्यापा है,
समता, समाज, धर्म पर आग का आगाज ,
सुना है चौधरी बनने का सपना आपका है
देखा है ,
शब्दों को ठण्ड में कपकपाते हुए,
हाड पर मांस को थप-थपाते हुए,
सूखेपन का रिश्तों से आँखों तक विस्तार ,
एक ढांचे को सपने में हल चलाते हुए,
गर होती हो सबनमीं रात, तो आपको मुबारक ,
ख़ुशफ़हमी है दिये को अमावस चबाते हुए ,
जिंदगी का कागजों से निकलके, सरपट दौड़ना,
ज़मीर गुमां से हँसता है , भूख को हराते हुए
मेरी झुन्झुलाहट ,
मेरे शब्द ,
मेरा रुन्दन,
आपके मायने में ,
कविता अच्छी है ,
शब्द बोझिल से,
पड़े है जीवन पर ,
श्रृंगार अब अवसान सा है,
भूख के भूगोल पर,
चीखता मै भी हूँ,
ठण्ड रिश्तों की ,
अवसाद सी ,
मै लपेटे भी हूँ,
सुना है ,
डायरी में जीवन भी ,
शब्दों सा तो है,
शब्द खिलोने आपके है,
जीवन से खेलता ,
मै भी हूँ,
सांत्वना अभिव्यक्ति है आपकी ,
ओड़ना मेरा भी है
शब्दों में जीता हूँ,
शब्दों में मेरा तर्पण है...
सुना है , कविताओं में ,
जीवन को मेरे ,
आपका समर्पण है
सुना है कि,
संवेदनाओ के धरातल से ,
निकलती है कविता अब भी,
एहसास –जज्बात से होकर गुजरती है ,
कविता अब भी..............
कविता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं :)
संवेदनाओ के धरातल से ,
निकलती है कविता अब भी,
बावरा सा हो ह्रदय तो ,
प्रतिघात भी है, प्रतिकार भी है ,
कविता अब भी ,
बेचैनी, शब्दों की सौगात खनक सी ,
एहसास –जज्बात से होकर गुजरती है ,
कविता अब भी
सुना है ,
शब्दों के महारथी अब ज्यादा है ,
कम से कम शब्दों में ,बढ़िया मुनाफा है ,
विचारों के व्यंग तो अब आपके रंग है ,
कविता – कविता होने पर अमादा है ..
श्रृंगार से वीर रस तक आपका समर्पण ,
भूख के विषय पर दर्शन बढ़िया आपका है ,
नंगेपन का उद्घोष था कि वो समाज-शास्त्र,
किसी का चिंतन तो किसी का स्यापा है,
समता, समाज, धर्म पर आग का आगाज ,
सुना है चौधरी बनने का सपना आपका है
देखा है ,
शब्दों को ठण्ड में कपकपाते हुए,
हाड पर मांस को थप-थपाते हुए,
सूखेपन का रिश्तों से आँखों तक विस्तार ,
एक ढांचे को सपने में हल चलाते हुए,
गर होती हो सबनमीं रात, तो आपको मुबारक ,
ख़ुशफ़हमी है दिये को अमावस चबाते हुए ,
जिंदगी का कागजों से निकलके, सरपट दौड़ना,
ज़मीर गुमां से हँसता है , भूख को हराते हुए
मेरी झुन्झुलाहट ,
मेरे शब्द ,
मेरा रुन्दन,
आपके मायने में ,
कविता अच्छी है ,
शब्द बोझिल से,
पड़े है जीवन पर ,
श्रृंगार अब अवसान सा है,
भूख के भूगोल पर,
चीखता मै भी हूँ,
ठण्ड रिश्तों की ,
अवसाद सी ,
मै लपेटे भी हूँ,
सुना है ,
डायरी में जीवन भी ,
शब्दों सा तो है,
शब्द खिलोने आपके है,
जीवन से खेलता ,
मै भी हूँ,
सांत्वना अभिव्यक्ति है आपकी ,
ओड़ना मेरा भी है
शब्दों में जीता हूँ,
शब्दों में मेरा तर्पण है...
सुना है , कविताओं में ,
जीवन को मेरे ,
आपका समर्पण है
सुना है कि,
संवेदनाओ के धरातल से ,
निकलती है कविता अब भी,
एहसास –जज्बात से होकर गुजरती है ,
कविता अब भी..............
कविता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं :)